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हमारे अध्यक्ष

रूद्र सेन सिंधु आप परिवार के व्यवसाय के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और परम मित्र मानव निर्माण संस्थान के चेयरमैन भी है। इनका जन्म 2 फरवरी, 1956, गांव खंडा, जिला हिसार में हुआ। वर्तमान में वे दिल्ली में रहते है। उन्होंने वैदिक संस्कृति के ध्वजवाहक स्वर्गीय चौधरी मित्रसेन आर्य के घर में जन्म लिया और छः भाइयो के संयुक्त परिवार में सबसे बड़े है। आपने स्नातक (1976) की शिक्षा बी.ए.न. चक्रवर्ती विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से प्राप्त की। इसके उपरांत वे अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में भर्ती हो गए।

सेना में Short Service Commission के उपरांत आप उड़ीसा के बरबिल में लौह व मैंगनीज़ अयस्क कार्य में लगे पैतृक उद्योग मैसर्स मित्रसेन एंड कंपनी की बागडोर संभाली। रूद्र सेन सिंधु 1984 से लगातार कोयला खनन, इसकी ढुलाई, सफाई व रसद में लगातार तीन दशकों तक कुशल प्रबंधन किया और व्यवसाय प्रबंधन प्रणाली के निर्माण में उत्कृष्टता, कोयला खनन में कौशल एवं प्रेरित टीमों का गठन, थर्मल पावर, मीडिया व फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में भी व्यावसायिक पहचान बनाईं। रूद्र सेन सिंधु अनुसार समूह का उद्देश्य मुख्यत: खनन में लगी कम्पनियो, रसद, बिजली उत्पादन, स्पंज आयरन एवं स्टील, स्टॉक ब्रोकिंग, मीडिया, फाइनेंस और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लगे उद्योगों के साथ व्यापारिक हितों के रूप में जुड़ाव को प्राथमिकता देना है।

कोयला क्षेत्र में उत्पादन एवं गुणवत्ता में नए प्रयोग लागू करने में उत्कृष्ट योगदान के मद्देनज़र उन्हें ऊर्जा और पर्यावरण फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2016 में ग्लोबल एक्सेलेंस अवार्ड से सम्मानित किया। आप वर्ष 2008 में कोयला पर बनी विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता की और वर्ष 2009 से एसोचैम की राष्ट्रीय कोयला समिति के चेयरमैन भी है।

परिवार के वैदिक मूल्यों को आप ने अपने जीवन में लगातार आत्मसात किया। खेत और खेती में नई टेक्नोलॉजी को अपनाया, ग्राम्य जीवन में विविधताएँ सामाजिक परिवेश के ताने-बाने को मजबूत करना, सांस्कृतिक मूल्यों का सरक्षण, ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था की मजबूती, पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उपजाऊ क्षमताएँ जैसे मुददो पर कार्य योजना के लिए अनेक ट्रस्ट व सोसाइटियों से जुड़ाव व निचले स्तर तक कार्य कर रहे है। ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों तथा शहरी झुग्गियों में स्कूल व गुरुकुलों की स्थापना की।

गुजरात के शहर भुज में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों की मदद के लिए 90 दिनों के रिकॉर्ड समय में स्मार्ट मॉडल गाँव विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान देकर पीड़ितों का पुनर्वास किया जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया।

आप समस्याओं के स्थानीय समाधान के लिए समर्पित है। आपका सपना है कि बेरोजगारी ख़त्म हो और स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिले। जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो। लगातार ख़त्म हो रही भूमि की उपजाऊ शक्ति, भोजन की गुणवत्ता और मानवीय मूल्यों का संरक्षण और संवर्धन जरूरी है। ग्राम स्तर पर गोबर और कृषि अवशेषों के समुचित प्रबंधन से ही स्वच्छ भारत मिशन का स्वप्न साकार होगा। इसके लिए एक उच्च तकनीक मॉडल संयंत्र के रूप में शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य एक ऐसी तकनीक जिसमें लागत कम हो और उत्पाद के रूप में मिलने वाली मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड गैस व जैव स्लरी से ऊर्जा उत्पन्न हो और मिटटी के लिए उपयोगी व सस्ती खाद की उपलब्धता हो ताकि मिटटी के पोषक तत्वों की गुणवत्ता बनी रह सके।