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स्वास्थ्य मित्र

परममित्र मानव निर्माण संस्थान की स्थापना वैदिक पथ के पथिक चौधरी मित्रसेन आर्य जी के द्वारा की गई थी। बचपन से ही आपके ह्रदय में समाज कल्याण की लौ थी। आपके दिल में अपने देश और देशवासियों के लिए कुछ अच्छा करने की ललक थी। सन 1995 में भयंकर बाढ़ आई जिसमें किसानों,  मजदूरों और गरीबों की बड़े पैमाने पर तबाही हुई। किसानों की फसलें तबाह हो गई और मजदूरों की मजदूरी छिन गई। ग्रामीण इलाकों में भयानक बीमारियाँ फ़ैल गई। इलाज की कमी के कारण गरीब और असहाय लोग दम तोड़ रहे थे, न उनके पास पीने का पानी था, न खाना और न ही इलाज के लिए पैसे। यह सब देख कर चौधरी साहब का दिल बेचैन हो उठा। दिन-रात आपको यही चिंता लगी रहती थी कि कैसे सब लोगों की मदद की जाए। तब आप अपने घर रोहतक से अपनी कार में सामान, पीने का पानी व दवाइयां लेकर गाँव-गाँव मदद के लिए जाया करते थे। यह सब करते हुए भी उन्हें लगता था कि वो हर इलाके तक कैसे पहुँचे। आखिर आपके मन में एक संस्थान बनाने का विचार आया जिसका मुख्य उद्देश्य सबकी मदद करना होगा, ऐसे ‘परम मित्र मानव निर्माण संस्थान’ का जन्म हुआ।

‘परम मित्र मानव निर्माण संस्थान’ में फिर उन्होंने एक टीम गठित की, बड़े बड़े डॉक्टर और अस्पतालों से बात की कि अपने डॉक्टर उनकी टीम के साथ भेजें जो गाँव-गाँव जाकर जाँच शिविर लगाए और लोगों की मदद करे। तब से उनके द्वारा शुरू किए गए इस सामाजिक कार्य को आज उनके वंशज और सहयोगी आगे बढ़ा रहे हैं ।  हमारी संस्थान बिना किसी भेदभाव के बहुत ही निष्पक्ष और समर्पण भाव से सबकी मदद करती है। सिर्फ दवाइयों और जाँच से शुरू हुए इन शिविर में आज विशेषज्ञ डॉक्टर भी आते हैं जैसे आँख, कान, दाँत, हड्डियों, प्रसूतिशास्री, कैंसर, दिल इत्यादि और निशुल्क सेवाएं देते हैं। दवाइयां व ऑपरेशन भी निशुल्क किए जाते हैं। शिविर में विशेष तरीके से ग्रामीण इलाकों में पाई जाने वाली बीमारियों का बचाव तथा बच्चों, महिलाओं की सेहत का विशेष ध्यान रखा जाता है।

चौधरी मित्रसेन जी ने खुली आँखों से मानवता के लिए एक सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए वो उम्र भर सोये नहीं। आपके सपनों को और आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य जाँच शिविर के साथ ही संस्थान और भी बहुत से जागरूकता शिविर लगाती है जैसे नशा मुक्ति, महिला सशक्तिकरण, महिला स्वास्थ्य व बीमारियों की जानकारी व बचाव के तरीके, लड़की पढाओ, लैंगिंक समानता, पर्यावरण स्थिरता, वृक्ष लगाना, नौकरी व स्किल कोर्स जागरूकता, मानवाधिकार इत्यादि।