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महिला सशक्तिकरण

women empowerment india, haryanaमहिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।

नरेंद्र मोदी जी द्वारा महिला दिन (WOMEN’s DAY) पर कहा गया मशहूर वाक्य ‘देश की तरक्की के लिए पहले हमें भारत की महिलाओं को सशक्त बनाना होंगा’ एक बार जब महिला अपना कदम उठा लेती है, तो परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर बढ़ता है।

भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है। जैसे दहेज प्रथा, यौन हिंसा, अशिक्षा, भ्रूण हत्या, असमानता, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय, लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर धकेलता है। भारत के संविधान में लिखे गए समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है।

महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारित करना चाहिए। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिए एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है।

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला कई क्षेत्रों में महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है। सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए लड़कियों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है, इसके साथ ही हमें महिलाओ के प्रति हमारी सोच को भी विकसित करना होगा।

उन्हें बचपन से सिखाया जाता है कि खाना बनाना ज़रुरी है। जरुरत है कि सिखाया जाए कि कमाना भी ज़रुरी है। आर्थिक रूप से सक्षम होना भी ज़रुरी है। परिवार के लिए नहीं वरन अपने लिए। पैसे से खुशियाँ नहीं आती, पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है। अगर शिक्षा में कुछ अंश जोड़े जाएँ जो आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दे। आपके कौशल को उपयुक्त बनाएं। अपने आपको इस लायक बनाएं कि आप अपना खर्च तो वहन कर ही सकें और ज़रूरत पड़ने पर अपने परिवार की भी मदद कर सकें। तभी शिक्षा के मायने सार्थक होंगे।

यही परिवर्तन लाने के लिए परमित्र मानव निर्माण संस्थान गाँव गाँव जाकर जागरूकता शिविर, कौशल विकास शिविर, महिला स्वास्थ्य जाँच शिविर लगाती है तथा हर महिला को सशक्त व आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। महिला शिक्षा को बढ़ावा देते हुए हमारी संस्थान ने कन्या विद्यालय खोले है व ज़रूरतमंद महिलाओं को शिक्षा छात्रवृति तथा नौकरी मुहैया करवाने में भी मदद करती है ।